जंगल के एक बर्बर शेर की कहानी। The Story of a Savage Lion of The Forest

एक समय की बात है कि एक जंगल में एक शेर रहता था वह शेर बहुत ही ताकतवर और बेरहम था। उसके सामने जो भी जानवर आता वो उसे खा जाता। उसके इस भयानक रूप से जंगल के सारे जानवरों में दहशत फ़ैली हुई थी। उस जंगल के बड़े नेता जानवर उसकी इस हरकत से तंग आ गए थे क्योंकि शेर जंगल के कानून को तोड रहा था। दरअसल बात यह थी कि जंगल के जानवरों ने आपस में मिलकर एक पंचायत कि थी जिसमे शेर को भी आमंत्रित किया गया था। पंचायत में सबने इस बात पर फैसला कर लिया था कि शेर को जंगल का एक बड़ा हिस्सा दे दिया जाए और शेर का एक अलग जंगल बना दिया जाए जिसकी एक सीमा तय हो गई।अब एक नियम भी लागू किया गया कि जो भी जानवर शेर वाले जगल में जाएगा वो शेर का भोजन बनेगा।

पंचायत के इस फैसले से जंगल के सभी जानवर खुश थे। पंचायत खत्म होने के बाद सभी जानवर अपने अपने घर चले गए। शेर भी अपने घर चला गया। यह बात पूरे जंगल में हवा की तरह फ़ैल गई और सभी जानवरों को पता चल गया। अब जो जानवर शेर की सीमा में रह गए थे उनको इस बात की टेंशन सताने लगी कि हम को शेर नहीं छोड़ेगा। इसलिए बहुत से जानवर शेर वाले जंगल को छोड़ कर और दूसरे जानवरों के पास आकर रहने लगे बाकी बचे जानवरों को शेर ने अपना शिकार बना लिया।

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धीरे धीरे शेर ने अपनी सीमा में रहने वाले तमाम जानवरों का सफाया कर दिया। अब शेर को भोजन करने के लिए और जानवरों की आवश्यकता थी इसलिए शेर इधर उधर भटक रहा था लेकिन उसको उसकी सीमा में कोई भी जानवर दिखाई नहीं दिया। अब शेर बहुत परेशान हो गया था भूख की वज़ह से उसकी हालत खराब हो रही थी और उसके शरीर में कमजोरी भी आने लगी थी। शेर अपने खाने के इंतजाम के बारे में सोच ही रहा था कि अचानक उसकी नजर एक हिरण पर पड़ी जो उसकी सीमा में प्रवेश कर चुकी थी।

शेर ने उसका शिकार करके अपना पेट भर लिया। शेर बड़ा चतुर था इसलिए उसने अपना दिमाग दौड़ाया और यह जानने की कि यह हिरण यहां पर क्यों आया था।शेर ने जिस स्थान पर हिरण को देखा वहां पर गया और देखा की एक तालाब है जिसमे पानी भरा हुआ है।यह तालाब इस तरह था कि इस का आधा हिस्सा शेर की सीमा में आता था और आधा बाकी जानवरों की सीमा में आता। अब शेर ने एक प्लान बनाया और अपना घर तालाब के पास शिफ्ट कर लिया।
अब शेर तालाब के पास छुपकर बैठ जाता और जो कोई भी जानवर आता उसको खा जाता। बहुत से जानवर अपने वाले हिस्से के तालाब से ही पानी पीते थे लेकिन शेर उनको भी खा जाता। इस बात का भी सभी जानवरों को पता चल गया और उनको अच्छा तरह समझ में आ गया कि शेर अपने नियमों को तोड़कर हमारे हिस्से में आता है और शिकार करता है। इसलिए जानवरों दोबारा पंचायत बुलाई जिसमे शेर को चेतावनी दी गई की अगर शेर पंचायत के नियमों को तोड़ेगा तो सारे जानवर मिलकर हड़ताल कर देंगे।लेकिन शेर पर इस बात का कोई असर नहीं हुआ वह हर दिन जंगल के नियमों का उलंघन कर रहा था।

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बहुत से जानवर को अपना शिकार बना चुका था जिससे जानवरों में दहशत फैली हुई थी। इसलिए सभी जानवरों ने मिलकर हड़ताल करने कि योजना बनाई और सभी तालाब के पास आकर एकत्रित हो गए। बहुत सारे जानवरों के झुंड को आता देख शेर तालाब को छोड़ कर भाग गया। परन्तु जानवरों के वापस जाने के बाद शेर फिर दोबारा आ गया। जानवरों ने एक बार फिर से पंचायत बुलाई लेकिन इसमें भी शेर हाजिर नहीं हुआ। अब जानवरों कि परेशानी और बढ़ गई थी। शेर के डर कि।वजह से जानवर तालाब पर पानी पीने नहीं जा पा रहे थे। इसलिए प्यास के कारण इनकी हालत खराब हो रही थी। कुछ समय तक ऐसे ही चलता रहा और शेर बहुत से जानवरों को ख चुका था।

अब जानवर सोच रहे थे करें तो क्या करें। अचानक एक लोमड़ी दौड़ती हुई आयी उसकी सांसे फुली हुई थी वह घबराई हुई थी जैसे की उसके पीछे कोई शेर लग रहा हो। सभी जानवरों ने उससे पूछा क्या बात है। तब लोमड़ी ने कहा कि मैंने एक शेर को देखा है जो बुरी तरह से चिल्ला रहा था और एक जाल के अन्दर फंसा हुआ है। सभी जानवर खुश हो गए क्योंकि अब उनको लग रहा था कि अब हम शेर को आसानी से मार सकते हैं। वह हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि वह जाल में फंसा हुआ है।

सभी जानवर वहां पर दौड़ कर गए देखा तो वहां पर वाकई में शेर था जो बुरी तरह से घायल और जाल के अन्दर फंसा हुआ था। सभी ने उसको मारने की सोची कोई भी इस मौके को हाथ जाने नहीं देना चाहता था।अचानक शेर दहाड़ा और ऊंची आवाज में कहा तुम मुझे क्यों मारना चाहते हो मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। सभी जानवरों को शेर पर गुस्सा आ गया क्योंकि वह समझ रहे थे इतने सारे जानवरों को मारकर भी शेर अपने आपको अपराधी नहीं समझता है। इसलिए सभी कहा इसकी कुछ मत सुनो और इसको जान से मार दो।

सभी दोबारा से मारने के लिए तैयार हो गए पीछे फिर एक और आवाज आई – ठहरो ! लेकिन ये आवाज शेर की नहीं बल्कि एक खरगोश कि थी।

ये हमारे अतिथि हैं इनको मारकर आप पाप मत करो – खरगोश ने कहा!
अतिथि! सभी जानवरों ने एक साथ मिलकर कहा। ये हमारे अतिथि कैसे ही सकते हैं इसने तो हमारे बहुत सारे साथियों को मार दिया है।

यह शेर वो नहीं है जिसने हमारे साथी जानवरों को खाया है बल्कि ये तो किसी दूसरे जंगल से आया है – खरगोश ने जवाब दिया। मैंने इसे नदी पार वाले जंगल से आते हुए देखा था और आप सब इसको अच्छी तरह देखे ये वह शेर नहीं है।
शेर बोला – हां भाई ये ठीक कह रहा है मैं वो नहीं हूं मैं तो नदी के पार एक जंगल है उसमे से यहां आया हूं। नदी भी सुख गई और हमारे जंगल में पानी की कमी के कारण मैं यहां पानी की तलाश में आया था। लेकिन मैं यहां किसी शिकारी के जाल में फंसकर रह गया अब अगर तुम मेरी मदद नहीं करोगे तो मै मर जाऊंगा।
सभी जानवर इस बात से डर रहे थे कि इस अजनबी शेर को बचाकर कहीं हम कोई गलती तो नहीं कर रहे हैं कभी यह भी हमें मारने लग जाए।
शेर ने कहा कि मुझ पर विश्वास करो मै तुमको धोका नहीं दूंगा और तुम्हारी उस शेर से भी रक्षा करूंगा जो तुम्हारे साथियों को खा गया है।
जानवरों ने शेर पर विश्वास कर लिया और शेर को जाल से बाहर निकाल दिया। जानवरों की इस मदद ने शेर का दिल जीत लिया था।
शेर ने कहा कि तुम्हारी सुरक्षा की जिम्मेदारी अब मेरी है मै उस शेर को खत्म कर दूंगा जिसने आतंक फैलाया हुआ है।
सभी जानवरों फिर दोबारा से एक बैठक बुलाई जो अतिथि शेर के समक्ष हुई। इसमें अतिथि शेर को एक कोतवाली तोहफे में दी गई और शेर को पूरे जंगल का कोतवाल बना दिया गया। शेर के आदेश पर काम करने हेतु कुछ जानवरों को उसके नीचे लगा दिया गया।
अब जानवरों ने कोतवाली में अर्जी लगाई कि हमारे पानी पीने के तालाब को उस आतंकी शेर से आजाद कराया जाए।
कोतवाल शेर ने तुरंत ही अपने कुछ सैनिक जानवरों को लेकर तालाब की तरफ चला दिया। तालाब पर पहुंचा तो उसने वहां पर उस क्रूर शेर को बैठा पाया। कोतवाल शेर ने छल्लांग लगाई और उस शेर के सामने जाकर खड़ा हो गया। बाकी जानवरों ने उसे चारो तरफ से घेर लिया। अब शेर भागना चाहता था लेकिन उसको पता था कि में बाकी जानवरों से तो भाग सकता हूं पर इस शेर से नहीं भाग सकता। कोतवाल शेर ने कहा कि तुमने बहुत से जानवरों कि हत्या की है उनकी सजा आपको जरूर मिलेगी।

अब दूसरा शेर डर के कारण कांपने लगा और माफी मागने लगा। सभी जानवरों ने कहा कि इसे हम माफ नहीं करेंगे। उस क्रूर शेर ने दोबारा कहा कि मुझे जान से मत मारो मै इस जंगल को छोड़ कर हमेशा के लिए बहुत दूर चला जाऊंगा और कभी लौट के नहीं आऊंगा। कोतवाल शेर ने कहा चलो हम तुम्हे माफ करते है अब तुम यहां से चले जाओ और इस जंगल में दिखाई मत देना। शेर को छोड़ दिया गया और वह बहुत दूर किसी घने जंगलों में जाकर रहने लगा।
अब जानवर और उनका कोतवाल शेर खुशी – खुशी जिंदगी बिता रहे थे सब एक दूसरे की सहायता करते और खुश रहते। जब कोई जानवर मार जाता तो उसको वह कोतवाल शेर को कोतवाली में भोजन के रूप में भेज देते इससे कोतवाल शेर का भी जीवन पहले से बढ़िया गुजरने लगा और बाकी जानवरों का भी डर दूर हो गया।

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किसी की सहायता करने से आपकी सहायता हो सकती है लेकिन कई बार हमें अपनी जान जोखिम में डालकर सहायता करनी पड़ती है ऐसी परस्थिति में आत्मविश्वास से काम लेना चाहिए। अगर आप उस काम को अकेले नहीं कर सकते तो अपने मित्रो कि मदद लेनी चाहिए। समय आने पर आपको भी दूसरों की मदद करनी चाहिए ताकि जब आप पर कठिनाई आए तो वो आपकी मदद कर सके। किसी काम को अगर मिलकर किया जाए तो लोगो तो बड़ी से बड़ी बुराई पर विजय पाई जा सकती है।

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