पिता की वसीयत पूरी करने का फल कहानी । Story of Fulfilling the Fathers Will

एक बार एक बहुत ही नेक और ईमानदार आदमी था। उसके एक बेटा था। जब उस आदमी के मरने के दिन करीब आए तो उसने अपने बेटे को बुलाया और दो बातें कही। जिसमें पहली बात यह थी कि कभी भी खुदा की झूटी कसम नहीं खाना, दूसरी बात यह थी कि मैंने जिन का ऋण लिया है उसको चुका देना। दोस्तों यह कहानी एक ऐसे बेटे की है जो अपने पिता के मरने के बाद भी उसकी आज्ञा का पालन करता है और अपने बाप की वसीयत पूरी करने पर खरा उतरता है और उसका बदला (फल) उसको मिल जाता है। इस हिंदी कहानी में आपको माँ-बाप के प्रति प्रेम-भाव से रहने और उनकी बात मानने की प्रेरणा मिलेगी।

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जब वह आदमी मर गया तो लोगों को पता लगना ही था और उन्होंने यह भी पता लगा लिया था कि उसने अपने बेटे से कर्जा चुकाने की बात कही थी। अब सभी लोग इससे फायदा उठाना चाहते थे। जब लोगों ने यह सुना तो बहुत सारे लोग उसके बेटे के पास आए और कहने लगे कि तेरे पिताजी के ऊपर हमारा इतना कर्ज है। लोगों का यह हाल हो गया कि एक-एक आदमी आता था और कहता था कि तेरे बाप के लिए मैंने इतना धन दिया था और मुझे इतना ही चाहिए। बहुत से लोग झूठा दावा करते की मेरा भी कर्ज है मुझे भी दो।
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वह उनको उतना ही धन दे देता ऐसे ही कुछ दिन तक चलता रहा यहां तक कि उसका सारा धन अपने पिताजी के ऋण चुकाने में चला गया और वह बेचारा गरीब हो गया। जब उसके पास एक कुछ भी नहीं बचा तो वह अपने पत्नी और बच्चों को लेकर निकल खड़ा हुआ और नदी में नाव पर सवार हो गया। अब वह करता भी क्या यही उसके पास एक रास्ता बचा था उस पर लोग जुल्म कर रहे थे और जबरदस्ती उससे कर्ज मांग रहे थे। अब वह अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ नाव में सवार होकर जा रहा था। खुदा का हुक्म यह हुआ कि अचानक नाव टूट गई और उसके तख्ते अलग हो गए। वह चारों अलग अलग तख्ते पर बहने लगे। भयंकर तूफान कि वजह से हर एक आदमी अलग अलग दिशा में जा पहुंचा।
अब यह आदमी जिसने दावेदारों के जुल्म से तंग आकर वतन छोड़ा था एक द्वीप में जा पहुंचा जहां पर कोई आदमी नजर नहीं आता था। वह बहुत हैरान और परेशान था। अचानक एक आवाज आई कि ऐ मां बाप के साथ एहसान करने वाले! खुदा चाहता है कि तुझे खजाना मिले, तुम फ्लां जगह पर जाओ और खजाना निकाल लो। उस आदमी ने यह पूरी आवाज सुनी और बताई हुई जगह पर पहुंचा तो वाकई में खजाना मिल गया। फिर खुदा ने कुछ आदमी कहीं से उसके पास भेजें उनसे उसने अच्छा बर्ताव और स्वागत किया। जब उसकी आवभगत और शिष्टाचार की खबर आस पास के इलाकों में फैली तो उसके अच्छे व्यवहार के कारण वह दूर दूर तक प्रसिद्ध हो गया और आसपास के लोग आने लगे और जो आते गए वहीं पर बसते गए। यहां तक कि वह द्वीप बड़ा शहर बन गया। वह आदमी उस शहर का बादशाह बन गया।
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जिस तरह उसकी खबरें सुन सुनकर और आदमी आते थे उसके बड़े बेटे को भी इस बात का पता चला कि एक आदमी जो बहुत ही दयालु और प्यार प्रेम वाला है जिसकी वजह से एक सुनसान द्वीप शहर बन गया। यह सुनते ही वह भी उस द्वीप की तरफ चल दिया। मंजिल तै करता हुआ जब वह उस द्वीप में पहुंचा तो उसकी मुलाकात बादशाह से हुई। उस बादशाह ने उसकी बहुत बढ़िया इज्जत की और अपने खास लोगों में शामिल कर लिया, मगर बाप-बेटे एक दूसरे को पहचान नहीं सके। इसी तरह जब उस के दूसरे बेटे को खबर हुई और वह भी बादशाह के पास आ पहुंचा। उसको भी बादशाह ने अपने खास लोगों में शामिल कर लिया। अभी तक यह तीनों बाप बेटे एक दूसरे को पहचान नहीं पाए थे।
अब बादशाह की बीवी का हाल सुनिए जो नाव से बहकर किसी दूसरे दीप में जा पहुंची थी और एक आदमी ने उसे अपने घर में रख लिया था। जिस आदमी ने उसको रखा था उसको भी बादशाह की खबर हुई की बहुत ही अच्छा आदमी है जिसकी वजह से एक सुनसान द्वीप शहर बन गया है। तो यह आदमी भी उस औरत को साथ लेकर बादशाह के द्वीप की तरफ चल पड़ा।
जब द्वीप के करीब पहुंचा तो औरत को नाव में ही छोड़ दिया और कुछ नजराने लेकर बादशाह की खिदमत में हाजिर हुआ। बादशाह ने उसकी इज्जत और आवभगत के बाद कहा कि आज रात यहीं गुजारो उसने कहा मैं नाव पर औरत को छोड़ आया हूं और उसकी तमाम बातों का जिम्मेदार मैं ही हूं। बादशाह ने कहा उसकी सुरक्षा के लिए में दो आदमी भेज देता हूं और उन्हीं दोनों भाइयों को हुक्म दिया कि वह जाएं और रात भर उस नाव में बैठी औरत की रक्षा करें।
जब वह दोनों भाई नाव पर पहुंचे तो आपस में कहने लगे कि हमको इस औरत की हिफाजत के लिए भेजा है। कहीं ऐसा ना हो कि नींद आ जाएं इसलिए आपस में कुछ बात कर लेते हैं। एक ने कहा कि अपनी जिंदगी की अब तक का हाल सुनाए ताकि नींद नहीं आए और रात भी कट जाए। तो एक ने पहले अपना किस्सा शुरू किया और अपनी पूरी दास्तान सुना गया कि हम दो सगे भाई थे दूसरे भाई का यही नाम था जो तुम्हारा है। हमारा बाप हमको और हमारी मां को साथ लेकर नाव में सवार हुआ। खुदा की कुदरत नाव टूट गई और हम सब बिखर गए। खुदा जाने कौन कहां कहां पहुंचा।
जब यह किस्सा दूसरे ने सुना तो पूछा कि तुम्हारे बाप का क्या नाम है? उसने अपने बाप का नाम बता दिया। फिर पूछा तुम्हारी मां का क्या नाम है? तो उसने अपनी मां का नाम भी बता दिया। इतना सुनते ही दोनों एक दूसरे को पहचान गए और दौड़ कर एक-दूसरे से लिपट कर कहने लगे रब की कसम तू तो मेरा भाई है।

वह औरत जो नाव में बैठी हुई थी जो हकीकत में उनकी मां थी। दोनों की बातें सुन रही थी। जब सुबह हुई और वह आदमी नाव पर आया तो देखा कि औरत बहुत गमगीन और उदास बैठी है। यह देखकर उसका माथा ठनका और गुस्सा आया और वह उल्टे पांव बादशाह के पास गया और यह बात बताई।

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बादशाह ने हुक्म दिया कि तीनों आदमी हाजिर किए जाएं। जब हाजिर हो गए तो बादशाह ने औरत से पूछा कि इन्होंने तेरे साथ क्या किया जो तू इतनी उदास और गमगीन है। वह औरत बोली की ऐ बादशाह ! इनको हुक्म दे कि यह अपना रात का किस्सा दोहराएं। बादशाह ने हुक्म दिया। जब उन्होंने अपना किस्सा सुनाया तो बादशाह भी उनको पहचान गया। बादशाह ने तख्त से दौड़कर उनको अपने सीने से चिपका लिया और कहा:-
‘कसम अल्लाह की तुम मेरे बेटे हो’ ।
उधर वह औरत भी बेचैन हो गई और तड़प कर बोली:-
‘कसम अल्लाह की मैं इनकी मां हूं’ ।
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अब वह चारों मिलकर बहुत खुश थे। दोस्तों यह कहानी थी एक होनहार बेटे की जिसने अपने बाप की वसीयत को पूरा किया और उसका फल (इनाम) उसको प्राप्त हो गया। इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि मां बाप की आज्ञा का पालन करने और उनकी सेवा करने से हम कामयाब होते है। अपने माता – पिता की सेवा करने से ईश्वर भी खुश होता है। दूसरी बात यह भी है कि ईश्वर जब चाहे किसी को भी मिला सकता है और जब चाहे किसी को भी जुदा कर सकता है।

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