आपने बहुत सी कहानी सुनी होंगी। लेकिन ऐसी सच्ची घटना आपने बहुत कम सुनी होगी जो मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ। इस कहानी में जितने भी पारिवारिक नाम हैं उनका वस्तविक्ता से कोई लेना देना नहीं है। इस घटना में हम वास्तविक नामों के बजाये काल्पनिक नामों का प्रयोग करेंगे। क्योंकि हमारा मक़सद आपको घटना से अवगत कराना हैं न की किसी व्यक्ति विशेष को ऊँचा या निचा दिखाना। यह घटना है उत्तरप्रदेश के नॉएडा में बिसरख थाना क्षेत्र की वहां किसी जगह से एक महिला वीमेन पावर लाइन नंबर 1090 पर कॉल पर कॉल करती है। वीमेन पावर लाइन उत्तरप्रदेश का सरकारी सेंटर है जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। अगर किसी महिला के साथ कोई छेड़खानी करता है तो वह इस नंबर पर कॉल करके सहायता ले सकती है। महिला फ़ोन पर कहती है की पुलिस की तत्काल आवश्यकता है जितना जल्दी हो सके बस आप भेज दीजिये।
पुलिस को सुचना मिलने के 5 से 7 मिनट के पश्चात् बिसरख थाने की इंचार्ज उषा चौहान अपने साथ पुलिसकर्मी लेकर मौके पर पहुँच जाती हैं। वहां पहुँच कर वह जो देखती हैं उसको देखकर हैरान रह जाती हैं। क्योंकि बात ही कुछ ऐसी थी कि एक कम उम्र की लड़की जिसकी उम्र 14 या 15 साल है उसका पेट सामान्य से ज्यादा बड़ा है। एक कक्षा 8 में पढ़ने वाली बच्ची जिसका पेट सामान्य से ज्यादा बड़ा है जिसको देखकर वह महिला भी परेशान हो जाती है। क्योकि उस बच्ची की माँ उस महिला के घर झाड़ू पोछे का काम करती थी। कई दिनों के बाद जब वह महिला अचानक से उस बच्ची को देखती है तो उसके सामान्य से ज़्यादा बड़े पेट को देखती हैं तो वह वीमेन पावर लाइन पर फ़ोन कर देती है।
इसके बाद थाना इंचार्ज उस बच्ची लेकर अस्पताल पहुँच जाती हैं और जो शंका सभी के मन में थी अस्पताल में से वही सुनने को मिलता है। जो अनुमान लगाया जा रहा था वह बिलकुल सच हो जाता है क्योकि वह बच्ची लगभग 3 महीने की गर्भवती हो चुकी थी। इसके बाद उस बच्ची से पूछा जाता है की बेटी यह आपका पेट इतना बड़ा कैसे हो गया तो वह कुछ भी जवाब नहीं देती है बस चुप रहती है। लेकिन जब उससे प्यार से समझाकर बार-बार पूछा जाता है तो वह बिखर जाती है और बताती है की उसका जो छोटा भाई है जिसका नाम है रवि उसने ऐसा किया है।
लड़की प्रेग्नेंट हो गयी और उसको पता भी नहीं चला
दरअसल बात यह है की अबोली जो की 8 वीं क्लास में पढ़ती है और उसका एक छोटा भाई और होता है रवि जो 6 वीं क्लास में पढता है। रवि उसकी बहन अबोली से लगभग ढाई – तीन साल छोटा होता है। लॉकडाउन का समय होता है, उस समय जो लोग डेली कमाकर अपना गुजर बसर करते हैं उनके लिए घर पर बैठकर पेट पालना मुश्किल होता है। इसी तरह अबोली और रवि के माता पिता भी अपनी जीविका चलाने के लिए घर से बाहर चले जाते हैं। ये दोनों बच्चे घर पर अकेले रह रहे होते हैं। इसी बीच ये दोनों बच्चे एक दिन न जाने क्या देख लेते हैं, पता नहीं इनको क्या ऐसा सूझता है जिससे ये आपस में सम्बन्ध बना लेते हैं। इसके बाद यह दोनों बार – बार ऐसा करते हैं और डेली करते हैं। इनको ऐसा करना अच्छा लगने लगता है। उनको घर में कोई रोकने और टोकने वाला नहीं होता है क्योंकि उनके माँ – बाप रोजाना अपने काम पर यानि मजदूरी करने चले जाते हैं।
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आपको मैंने पहले ही बता दिया था की इन बच्चों की माँ उस महिला के घर झाड़ू पोछे का काम करती थी। पिता मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करता था। इन दोनों बच्चों को इसी तरह कई दिन गुजर जाते हैं और इस बच्ची को पता ही नहीं चलता है की वह गर्भवती हो गयी है। जब थाना अध्यक्ष उषा चौहान उससे पूछती हैं तुमने यह पाप किया है तो वह बच्ची कहती है की हमे पता ही नहीं की यह पाप है। दोनों बच्चे नाबालिग होते हैं लेकिन पुलिस रवि के खिलाफ सुसंगत धाराओं में विलप्त होने का मुकदमा दर्ज करती है और उसको बाल सुधार गृह भेज देती है।
लेकिन यहाँ पर जो समस्या थी वह उस बच्ची के प्रेग्नेंट होने की थी। सवाल यह था की उस बच्ची के पेट में पल रहे बच्चे का गर्भपात कराया जाये या फिर उसे पलने दिया जाये। यदि इस बच्चे को पलने दिया जाये तो सामाजिक स्तर पर गलत होता है और अगर गर्भपात कराया जाये तो भी गलत होता है। इसके साथ साथ एक बड़ी समस्या यह भी थी की अगर बच्ची का गर्भपात कराया जाये तो कम उम्र होने के कारण बच्ची की सेहत को भी खतरा था। बच्ची के माँ बाप के पास ज्यादा समय नहीं था क्योकि 20 दिन बाद गर्भपात करना बहुत खतरनाक हो जाता। इसमें लड़की की जान जाने का खतरा भी था और गर्भ*पात कराने के लिए कोर्ट से परमिशन लेनी भी जरुरी थी। जब उस बच्ची के माँ बाप से पूछा गया तो उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह करें तो क्या करें।
लड़की का अल्ट्रासाउंड कराया जायेगा
पुलिस ने बताया की बच्ची का अल्ट्रासाउंड कराया जायेगा जिससे और जानकारी मिल सके। इसकी जानकारी तो नहीं मिल पाई की बच्ची का गर्भ*पात किया गया या बच्चे को पलने दिया। लेकिन यहाँ पर इस कहानी बताने का मकसद यही है की ऐसा घोर पाप कहीं और ना हो। जब ऐसे मामले सामने आते हैं तो रूह काँप जाती है इन मामलों में अक्सर माँ बाप अनजान होते हैं लेकिन उनकी भी गलती होती है। बच्चों को मोबाइल देकर अकेले छोड़ देना और उसके बाद चेक नहीं करना की हमारे बच्चे क्या देख रहे हैं। बच्चों को अच्छे माहौल और अच्छी संगत में रखना चाहिए क्योंकि आजकल के बच्चे बड़ों से भी तेज होते हैं। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं नयी चीजों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं और जो घर में देखते हैं वो ही करने की कोशिश करते हैं। माँ बाप को चाहिए की जब भी कभी ऐसा काम करें तो बच्चों के सामने ना करें। ऐसा ना सोचें की बच्चा छोटा है यह कुछ नहीं जानता। माना कुछ नहीं जानता है लेकिन जानने की कोशिश करता है। इस पोस्ट को पढ़ें इस पोस्ट में मैंने बच्चों का पालन पोषण कैसे करें? के बारे में बताया है। इसमें आपको तर्क के साथ जानकारी मिलेगी धन्यवाद।
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